Sunday, 14 September 2025

हिंदी दिवस 2025

  

  
   


हिंदी दिवस

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है. यह दिन हमें 1949 की उस ऐतिहासिक घटना की याद दिलाता है जब संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा घोषित किया. इस दिन स्कूल, कॉलेज और संस्थानों में विशेष कार्यक्रम होते हैं और मातृभाषा हिंदी के महत्व पर जोर दिया जाता है.

हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है?

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया. इसी ऐतिहासिक निर्णय की याद में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने यह दिन मनाने की घोषणा की थी और 1953 से हिंदी दिवस आधिकारिक रूप से पूरे देश में मनाया जाने लगा.


कैसे मनाया जाता है हिंदी दिवस?

  • स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
  • निबंध लेखन, वाद-विवाद, कविता और भाषण प्रतियोगिताएं होती हैं.
  • सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं.
  • इस दिन लोगों को अपनी मातृभाषा के महत्व को समझने और उस पर गर्व करने की प्रेरणा दी जाती है.
  • हिंदी दिवस का महत्व क्या है?

  • हिंदी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और एकता का आधार है. हिंदी आज दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है और वर्तमान में इसे कई देशों में समझा और पढ़ाया जाता है. यह दिवस युवाओं को अपनी भाषा से जुड़े रहने और इसे आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता है.
 

हिंदी दिवस से जुड़ी सभी जानकारी विस्तार से प्रस्तुत है:

1. हिंदी दिवस क्या है?
हिंदी दिवस भारत में हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा के महत्व, प्रसार और विकास को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।

2. कब मनाया जाता है?
हर वर्ष 14 सितंबर को।

3. क्यों मनाया जाता है?

14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया।

इस ऐतिहासिक निर्णय की याद में और हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है।

यह दिन हमें अपनी मातृभाषा और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहने की प्रेरणा देता है।


4. कहां से शुरुआत हुई?

हिंदी दिवस मनाने की परंपरा 1953 से शुरू हुई।

पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया।

इस दिन का चयन इसलिए हुआ क्योंकि 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था।


5. इसका महत्व क्या है?

हिंदी भारत की पहचान और एकता का प्रतीक है।

यह भाषा देश के अधिकांश लोगों को जोड़ती है।

हिंदी दिवस भाषा के संरक्षण, प्रसार और गर्व की भावना को मजबूत करता है।

यह दिन याद दिलाता है कि हमें अपनी मातृभाषा को वैज्ञानिक, साहित्यिक और प्रशासनिक स्तर पर आगे बढ़ाना चाहिए।


6. यह सबसे प्रचलन में कब आया?

1953 से नियमित रूप से हिंदी दिवस मनाया जाने लगा।

बाद में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने इसे अधिक प्रचार-प्रसार दिया।

कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में इसे प्रतियोगिताओं, भाषण, लेखन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से लोकप्रिय बनाया गया।


👉 संक्षेप में:
हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1953 से हुई। यह 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिलने की स्मृति में मनाया जाता है। इसका महत्व हिंदी भाषा की प्रतिष्ठा और देश की एकता में निहित है।   

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Monday, 8 September 2025

साक्षरता दिवस (Literacy Day)


साक्षरता दिवस क्या है?

📖 साक्षरता दिवस क्या है?

साक्षरता दिवस शिक्षा के महत्व और निरक्षरता को दूर करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि पढ़ना-लिखना हर व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है और इसके बिना समाज और देश का विकास संभव नहीं है।

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📅 कब मनाया जाता है?

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस: हर साल 8 सितम्बर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय साक्षरता दिवस (भारत में): हर साल 8 सितम्बर को ही मनाया जाता है।

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🌍 इतिहास और शुरुआत

1966 में यूनेस्को (UNESCO) ने 8 सितम्बर को "International Literacy Day" घोषित किया।

इसका उद्देश्य था दुनिया भर से निरक्षरता मिटाना और शिक्षा को सभी तक पहुँचाना।

भारत में 1988 से इस दिन को मनाया जाने लगा।

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🎯 उद्देश्य

1. शिक्षा के महत्व को जन-जन तक पहुँचाना।


2. निरक्षरता को खत्म करना।


3. वयस्कों और बच्चों में पढ़ाई के प्रति जागरूकता बढ़ाना।


4. सरकार और समाज को मिलकर शिक्षा योजनाओं में सहयोग करना।


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📊 भारत में साक्षरता

1951 में भारत की साक्षरता दर सिर्फ 18.33% थी।

2011 की जनगणना के अनुसार साक्षरता दर 74.04% हो गई।

पुरुष: 82%

महिला: 65%


आज भी भारत में ग्रामीण क्षेत्रों और गरीब वर्गों में निरक्षरता एक बड़ी चुनौती है।

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📌 महत्व

साक्षर व्यक्ति अपने अधिकार और कर्तव्य समझ पाता है।

शिक्षा से रोज़गार के अवसर मिलते हैं।

महिलाओं और बच्चों का जीवन स्तर बेहतर होता है।

गरीबी और सामाजिक असमानता घटती है।

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🎉 कैसे मनाया जाता है?

स्कूलों और कॉलेजों में निबंध, भाषण, वाद-विवाद प्रतियोगिता।

सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा जागरूकता अभियान।

ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष साक्षरता शिविर।

मीडिया और सोशल मीडिया के ज़रिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार।

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निष्कर्ष

साक्षरता दिवस हमें यह सिखाता है कि शिक्षा ही समाज की सबसे बड़ी शक्ति है। यदि हर व्यक्ति पढ़ा-लिखा होगा तो देश प्रगति की ऊँचाइयों को छू सकेगा।


Friday, 5 September 2025

ONAM


.1. ओणम का त्योहार क्या है?

ओणम दक्षिण भारत के केरल राज्य का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध त्योहार है। यह मुख्य रूप से फसल (Harvest Festival) के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार राजा महाबली की याद में मनाया जाता है, जिनके समय को स्वर्ण युग माना जाता है।

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2. ओणम कब मनाया जाता है?

ओणम हर साल भाद्रपद मास (अगस्त–सितंबर) में मनाया जाता है।
यह त्योहार कुल 10 दिन चलता है। मुख्य दिन को थिरुवोणम (Thiruvonam) कहते हैं।

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3. ओणम कहां मनाया जाता है?

ओणम मुख्य रूप से केरल राज्य में मनाया जाता है, लेकिन आजकल यह पूरे भारत और विदेशों में बसे मलयाली लोगों द्वारा भी धूमधाम से मनाया जाता है।

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4. ओणम कैसे मनाया जाता है?

पुक्कलम (फूलों की रंगोली): घर के आंगन में सुंदर फूलों से रंगोली बनाई जाती है।

ओणम साद्या (भोज): केले के पत्ते पर 26-30 प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं।

नृत्य: महिलाएँ “थिरुवाथिराकली” और “कथकली” नृत्य करती हैं।

नौका दौड़ (Vallamkali): लंबी नावों की दौड़ आयोजित होती है।

खेलकूद: पारंपरिक खेल जैसे पुलिकली (बाघ नृत्य), कुश्ती, तीरंदाजी आदि होते हैं।

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5. ओणम क्यों मनाया जाता है?

कहानी के अनुसार, प्राचीन समय में राजा महाबली (बलि) के शासन में केरल में सुख-समृद्धि थी।
भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर महाबली से तीन पग भूमि माँगी और महाबली को पाताल भेज दिया। लेकिन भगवान विष्णु ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आ सकते हैं।
इसी दिन को लोग ओणम के रूप में मनाते हैं।

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6. ओणम का महत्व क्या है?

यह फसल कटाई का त्योहार है।

यह संपन्नता, भाईचारे और समानता का प्रतीक है।

इस दिन लोग अपने घर को सजाकर और विशेष भोजन बनाकर राजा महाबली का स्वागत करते हैं।

यह त्योहार केरल की संस्कृति और परंपरा को दर्शाता है।

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7. सबसे पहले कहां मनाया जाता है?

सबसे पहले और सबसे ज्यादा केरल में मनाया जाता है।

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8. ओणम पर किसकी पूजा की जाती है?

राजा महाबली का स्वागत और स्मरण किया जाता है।

साथ ही भगवान वामन (विष्णु का पाँचवाँ अवतार) की पूजा की जाती है।

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👉 संक्षेप में:
ओणम एक केरल का प्रमुख फसल त्योहार है, जो राजा महाबली की याद में और भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ा है। यह अगस्त–सितंबर में 10 दिनों तक पारंपरिक नृत्य, नौका दौड़, फूलों की सजावट और भोज के साथ मनाया जाता है।

ईद-ए-मिलाद

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✦ ईद-ए-मिलाद और पैग़म्बर मोहम्मद साहब का जन्म ✦

पैग़म्बर मोहम्मद साहब का जन्म

  • पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद साहब का जन्म 571 ईस्वी में मक्का (सऊदी अरब) में हुआ।

  • इस वर्ष को इस्लामी इतिहास में आम-उल-फील (हाथियों का साल) कहा जाता है।

  • उनका जन्म रबी-उल-अव्वल महीने की 12वीं तारीख़ को हुआ।

  • पैग़म्बर मोहम्मद साहब को इस्लाम में अंतिम नबी (Final Prophet) माना जाता है।

  • उन्होंने लोगों को ईमान, अमन, इंसाफ़ और इंसानियत का पैग़ाम दिया।


ईद-ए-मिलाद (मौलिद-उन-नबी)

  • ईद-ए-मिलाद को मौलिद-उन-नबी या बारावफात भी कहा जाता है।

  • यह दिन पैग़म्बर मोहम्मद साहब के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

  • इस अवसर पर मुसलमान नमाज़, कुरआन शरीफ़ की तिलावत, जुलूस और दुआ करते हैं।

  • लोग मस्जिदों और घरों को सजाते हैं, गरीबों को खाना खिलाते हैं और नेक काम करते हैं।


इस दिन का महत्व

  • यह दिन हमें पैग़म्बर साहब की शिक्षाओं और जीवनशैली को याद करने का अवसर देता है।

  • उन्होंने सिखाया:

    • इंसानियत सबसे ऊपर है।

    • सबके साथ न्याय और भाईचारा रखो।

    • गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद करो।

  • ईद-ए-मिलाद हमें शांति, प्रेम और सद्भावना का संदेश देता है।


निष्कर्ष

  • पैग़म्बर मोहम्मद साहब का जीवन सम्पूर्ण मानवता के लिए मार्गदर्शन है।

  • ईद-ए-मिलाद का त्योहार हमें यह याद दिलाता है कि हमें उनकी बताई राह पर चलकर प्यार, शांति और इंसानियत फैलानी चाहिए।




Tuesday, 2 September 2025

✦ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और शिक्षक दिवस ✦

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का परिचय

  • जन्म: 5 सितम्बर 1888, तिरुत्तनी (आंध्र प्रदेश)

  • मृत्यु: 17 अप्रैल 1975, चेन्नई

  • वे भारत के महान दार्शनिक, शिक्षक और राजनीतिज्ञ थे।

  • स्वतंत्र भारत के दूसरे राष्ट्रपति (1962-1967) बने।

  • उन्हें 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।


शिक्षा और योगदान

  • उन्होंने दर्शनशास्त्र (Philosophy) में स्नातक व स्नातकोत्तर किया।

  • भारतीय संस्कृति और दर्शन को पश्चिमी देशों तक पहुँचाया।

  • Indian Philosophy, The Hindu View of Life, The Philosophy of Rabindranath Tagore जैसी पुस्तकें लिखीं।

  • उन्होंने कहा था: “सच्चा शिक्षक वह है, जो अपने छात्रों को विचारों की ऊँचाइयों तक ले जाए।”


शिक्षक दिवस का महत्व

  • जब वे राष्ट्रपति बने, उनके छात्रों और दोस्तों ने उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा जताई।

  • उन्होंने कहा:
    “यदि आप मेरा जन्मदिन मनाना चाहते हैं तो इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाइए।”

  • तभी से भारत में हर वर्ष 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

  • यह दिन हमें शिक्षकों के महत्व और उनके मार्गदर्शन को सम्मानित करने का अवसर देता है।


निष्कर्ष

  • डॉ. राधाकृष्णन ने शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का सबसे बड़ा साधन बताया।

  • शिक्षक दिवस केवल उनका जन्मदिन ही नहीं है, बल्कि यह हर शिक्षक के योगदान को नमन करने का दिन है।

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Wednesday, 27 August 2025

मेजर ध्यानचंद & राष्ट्रीय खेल दिवस


मेजर ध्यानचंद (1905 – 1979)

जन्म : 29 अगस्त 1905, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

असली नाम ध्यान सिंह था, लेकिन उन्हें रात को अभ्यास करने की आदत थी इसलिए लोग उन्हें "चंद" (चाँद) कहने लगे और वे “ध्यानचंद” कहलाए।

उन्हें हॉकी का जादूगर (Wizard of Hockey) कहा जाता है।

वे भारतीय हॉकी टीम के महान खिलाड़ी थे, जिनके खेल कौशल को देखकर विदेशी भी दंग रह जाते थे।


🏑 प्रमुख उपलब्धियाँ

1928 (एम्सटर्डम), 1932 (लॉस एंजेल्स), 1936 (बर्लिन) – लगातार तीन ओलंपिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में उनकी प्रमुख भूमिका रही।

400 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय गोल किए।

1936 बर्लिन ओलंपिक में हिटलर ने भी उनके खेल को देखकर उन्हें जर्मन सेना में उच्च पद देने का प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया।

भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया।

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🏆 राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day)

तिथि : हर साल 29 अगस्त को मनाया जाता है।

यह दिन मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन की स्मृति में मनाया जाता है।


🎯 महत्व

खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने और खेलों का महत्व बताने के लिए मनाया जाता है।

इस दिन राष्ट्रपति भवन में खेल क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जाते हैं, जैसे –

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार (अब: मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार)

अर्जुन पुरस्कार

द्रोणाचार्य पुरस्कार

ध्यानचंद पुरस्कार


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🌟 सारांश

मेजर ध्यानचंद → हॉकी के जादूगर, 3 ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता।

राष्ट्रीय खेल दिवस → 29 अगस्त को उनके जन्मदिन पर मनाया जाता है।

इस दिन खिलाड़ियों को उच्चतम खेल पुरस्कार दिए जाते हैं और खेलों के महत्व पर बल दिया जाता है।



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गणपति जी


.1. गणेश जी की स्थापना कब होती है?

गणपति जी की स्थापना भाद्रपद मास (भादो माह) के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर होती है। इस दिन को “गणेश चतुर्थी” कहते हैं।

घरों में, मंदिरों में और सार्वजनिक पंडालों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है।

स्थापना का शुभ समय प्रायः प्रातःकाल या दिन में शुभ मुहूर्त देखकर होता है।


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2. गणेश जी की स्थापना कहां होती है?

घर-घर में लोग मिट्टी या प्रतिमा स्वरूप गणपति लाकर स्थापना करते हैं।

महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, मध्य प्रदेश और उत्तर भारत के कई स्थानों पर सार्वजनिक पंडालों में बड़े-बड़े गणेश उत्सव मनाए जाते हैं।

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3. गणेश स्थापना का महत्व

श्री गणेश को विघ्नहर्ता (सभी बाधाओं को दूर करने वाले) और सिद्धिविनायक (सफलता देने वाले) माना जाता है।

किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से होती है।

गणेश स्थापना से घर-परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और विघ्नों का नाश होता है।

यह पर्व सामूहिक एकता, भक्ति और उत्सव भावना को बढ़ाता है।

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4. गणेश जी का स्वरूप

भगवान गणेश का स्वरूप बहुत ही दिव्य और प्रतीकात्मक है –

हाथी का मुख : बुद्धि, ज्ञान और स्मरण शक्ति का प्रतीक।

बड़ा सिर : बड़ी सोच और विशाल दृष्टिकोण रखने का संदेश।

छोटे नेत्र : गहन चिंतन और एकाग्रता।

बड़ी सूंड : अनुकूलन और विवेक का प्रतीक।

मोटा पेट : धैर्य, सहनशीलता और सभी अच्छी-बुरी बातों को पचाने की शक्ति।

चार भुजाएँ –

एक हाथ में अंकुश (प्रेरणा व नियंत्रण)

एक हाथ में पाश (बंधन तोड़ना)

एक हाथ में मोदक (आनंद और प्रसाद)

चौथा हाथ आशीर्वाद मुद्रा में


उनके वाहन चूहा (मूषक) होता है, जो हमारी इच्छाओं पर नियंत्रण का प्रतीक है।

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5. गणेश विसर्जन कब और क्यों होता है?

गणेश जी की स्थापना के बाद 1 दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन या 11 दिन तक पूजन करके विसर्जन किया जाता है।

सबसे प्रमुख विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है (गणेश चतुर्थी के 11वें दिन)।


विसर्जन का कारण:

मूर्ति स्थापना अस्थायी रूप से भगवान को घर/पंडाल में आमंत्रित करने का प्रतीक है।

विसर्जन यह संदेश देता है कि भगवान हर जगह हैं और हमें उनकी उपस्थिति का अनुभव सदैव करते रहना चाहिए।

यह प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है – मिट्टी से बनी मूर्ति को वापस जल में मिलाया जाता है ताकि अगली बार फिर उसी मिट्टी से मूर्ति बनाई जा सके।



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👉 संक्षेप में:
                                                             

Tuesday, 12 August 2025

DR. S.R. RANGANATHAN



.                                           THE FATHER OF LIBRARY SCIENCE IN INDIA

INDEPENDENCE DAY




Independence Day is celebrated every year on 15th August in India to commemorate the nation’s freedom from British rule in 1947. It is a day of pride, remembrance, and unity. On this day, the Prime Minister hoists the national flag at the Red Fort in Delhi, followed by the national anthem and inspiring speeches. Across the country, schools, offices, and communities organize cultural programs, patriotic songs, parades, and flag-hoisting ceremonies.

This occasion reminds us of the sacrifices made by countless freedom fighters like Mahatma Gandhi, Subhas Chandra Bose, Bhagat Singh, and many others who dedicated their lives to the cause of liberty. It also inspires citizens to work towards the progress, harmony, and integrity of the nation. Independence Day is not just a celebration of our past, but also a pledge to uphold the values of democracy, equality, and justice for future generations.
         

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Thursday, 31 July 2025


.मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

नाम: धनपत राय श्रीवास्तव (कलम नाम – मुंशी प्रेमचंद)
जन्म: 31 जुलाई 1880, बनारस (वाराणसी) के पास लमही गाँव, उत्तर प्रदेश
मृत्यु: 8 अक्टूबर 1936, बनारस


परिचय

मुंशी प्रेमचंद हिन्दी और उर्दू साहित्य के महान उपन्यासकार, कहानीकार और नाटककार थे। उन्हें “उपन्यास सम्राट” कहा जाता है। उनकी रचनाओं में भारतीय ग्रामीण जीवन, सामाजिक समस्याएँ, अन्याय, गरीबी, और नैतिक मूल्यों का यथार्थ चित्रण मिलता है।


प्रारंभिक जीवन

  • प्रेमचंद का असली नाम धनपत राय था।

  • बचपन में ही माता-पिता का निधन हो गया, जिससे जीवन में कठिनाइयाँ आईं।

  • शिक्षा बनारस में हुई। अंग्रेज़ी, उर्दू और फ़ारसी पर अच्छी पकड़ थी।

  • प्रारंभ में उर्दू में “नवाब राय” नाम से लिखना शुरू किया।


साहित्यिक जीवन

  • पहली कहानी "दुनिया का सबसे अनमोल रतन" 1907 में प्रकाशित हुई।

  • प्रारंभिक लेखन उर्दू में, बाद में हिंदी में लेखन आरंभ किया।

  • उनके लेखन का मुख्य विषय गरीब, किसान, दलित, स्त्री-शोषण, और समाज सुधार रहा।

  • वे सरल, सहज, और यथार्थवादी भाषा के लिए प्रसिद्ध थे।


मुख्य रचनाएँ

उपन्यास

  1. गोदान

  2. गबन

  3. कर्मभूमि

  4. रंगभूमि

  5. सेवा सदन

कहानियाँ

  • पूस की रात

  • पंच परमेश्वर

  • कफ़न

  • नमक का दरोगा

  • ईदगाह


विशेषताएँ

  • यथार्थवादी और सामाजिक दृष्टिकोण।

  • भाषा में सरलता और संवादों में प्रभावशीलता।

  • साहित्य के माध्यम से समाज सुधार का संदेश।


मृत्यु

मुंशी प्रेमचंद का निधन 8 अक्टूबर 1936 को लंबी बीमारी के बाद हुआ, लेकिन वे आज भी अपने लेखन के माध्यम से जीवित हैं।


मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी (तत्कालीन बनारस) के पास लमही नामक गाँव में हुआ। उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था और वे “मुंशी प्रेमचंद” नाम से प्रसिद्ध हुए। बचपन में ही माता-पिता का निधन हो जाने के कारण उनका जीवन संघर्षपूर्ण रहा। उन्होंने बनारस में शिक्षा प्राप्त की और प्रारंभ में उर्दू में “नवाब राय” नाम से लिखना शुरू किया।

प्रेमचंद हिंदी और उर्दू साहित्य के उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने अपने लेखन में समाज की सच्चाई, गरीबों की पीड़ा, किसानों की दशा, स्त्रियों के अधिकार, और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाई। उनकी भाषा सरल, सहज और प्रभावशाली थी, जिसमें गाँवों का जीवन और आम आदमी की भावनाएँ झलकती थीं।

उनके प्रमुख उपन्यासों में गोदान, गबन, रंगभूमि, कर्मभूमि, और सेवासदन प्रमुख हैं। वहीं पूस की रात, ईदगाह, कफ़न, पंच परमेश्वर और नमक का दरोगा जैसी कहानियाँ आज भी पाठकों के दिल को छूती हैं।

8 अक्टूबर 1936 को उनका निधन हो गया, लेकिन वे अपनी रचनाओं के माध्यम से हमेशा जीवित रहेंगे। मुंशी प्रेमचंद ने हिंदी साहित्य को नई दिशा दी और उसे यथार्थवाद की ऊँचाई पर पहुँचाया।



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FIFTH ANNIVERSARY OF THE NEW EDUCATION POLICY 2020

 
                                                                   29 TH JULY 2025
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Friday, 18 July 2025

books and Authors: Quiz 2025

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"Books and Authors: Library Promotion week" Quiz 2025
Organized by the library of  PM SHRI  Kendriya Vidyalaya Indore No.1 Shift-1, is a vibrant initiative for students, parents, and teachers. This interactive quiz deepens literary knowledge by exploring famous authors and their works. It fosters reading habits, sparks curiosity, and builds meaningful connections among participants. Perfect for joyful learning, it brings the school community together, encouraging a shared love for books and storytelling in an engaging and memorable way.

केंद्रीय विद्यालय इंदौर नं.1 शिफ्ट-1 की पुस्तकालय द्वारा आयोजित एक शानदार पहल है, जो छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिए है। यह इंटरएक्टिव क्विज़ प्रसिद्ध लेखकों और उनकी रचनाओं के माध्यम से साहित्यिक ज्ञान को गहरा करती है। यह पढ़ने की आदत को प्रोत्साहित करती है, जिज्ञासा जगाती है और प्रतिभागियों के बीच सार्थक जुड़ाव बनाती है। आनंदमय सीखने के लिए उपयुक्त यह आयोजन पुस्तक प्रेम और कहानी कहने की संस्कृति को एक साथ लाता है।


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Saturday, 21 June 2025

PM SHRI KENDRIYA VIDYALAYA NO.1 INDORE


                                             INTERNATIONAL YOGA DAY 21 JUNE 2025