.1. गणेश जी की स्थापना कब होती है?
गणपति जी की स्थापना भाद्रपद मास (भादो माह) के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर होती है। इस दिन को “गणेश चतुर्थी” कहते हैं।
घरों में, मंदिरों में और सार्वजनिक पंडालों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है।
स्थापना का शुभ समय प्रायः प्रातःकाल या दिन में शुभ मुहूर्त देखकर होता है।
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2. गणेश जी की स्थापना कहां होती है?
घर-घर में लोग मिट्टी या प्रतिमा स्वरूप गणपति लाकर स्थापना करते हैं।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, मध्य प्रदेश और उत्तर भारत के कई स्थानों पर सार्वजनिक पंडालों में बड़े-बड़े गणेश उत्सव मनाए जाते हैं।
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3. गणेश स्थापना का महत्व
श्री गणेश को विघ्नहर्ता (सभी बाधाओं को दूर करने वाले) और सिद्धिविनायक (सफलता देने वाले) माना जाता है।
किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से होती है।
गणेश स्थापना से घर-परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और विघ्नों का नाश होता है।
यह पर्व सामूहिक एकता, भक्ति और उत्सव भावना को बढ़ाता है।
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4. गणेश जी का स्वरूप
भगवान गणेश का स्वरूप बहुत ही दिव्य और प्रतीकात्मक है –
हाथी का मुख : बुद्धि, ज्ञान और स्मरण शक्ति का प्रतीक।
बड़ा सिर : बड़ी सोच और विशाल दृष्टिकोण रखने का संदेश।
छोटे नेत्र : गहन चिंतन और एकाग्रता।
बड़ी सूंड : अनुकूलन और विवेक का प्रतीक।
मोटा पेट : धैर्य, सहनशीलता और सभी अच्छी-बुरी बातों को पचाने की शक्ति।
चार भुजाएँ –
एक हाथ में अंकुश (प्रेरणा व नियंत्रण)
एक हाथ में पाश (बंधन तोड़ना)
एक हाथ में मोदक (आनंद और प्रसाद)
चौथा हाथ आशीर्वाद मुद्रा में
उनके वाहन चूहा (मूषक) होता है, जो हमारी इच्छाओं पर नियंत्रण का प्रतीक है।
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5. गणेश विसर्जन कब और क्यों होता है?
गणेश जी की स्थापना के बाद 1 दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन या 11 दिन तक पूजन करके विसर्जन किया जाता है।
सबसे प्रमुख विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है (गणेश चतुर्थी के 11वें दिन)।
विसर्जन का कारण:
मूर्ति स्थापना अस्थायी रूप से भगवान को घर/पंडाल में आमंत्रित करने का प्रतीक है।
विसर्जन यह संदेश देता है कि भगवान हर जगह हैं और हमें उनकी उपस्थिति का अनुभव सदैव करते रहना चाहिए।
यह प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है – मिट्टी से बनी मूर्ति को वापस जल में मिलाया जाता है ताकि अगली बार फिर उसी मिट्टी से मूर्ति बनाई जा सके।
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