✦ ईद-ए-मिलाद और पैग़म्बर मोहम्मद साहब का जन्म ✦
पैग़म्बर मोहम्मद साहब का जन्म
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पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद साहब का जन्म 571 ईस्वी में मक्का (सऊदी अरब) में हुआ।
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इस वर्ष को इस्लामी इतिहास में आम-उल-फील (हाथियों का साल) कहा जाता है।
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उनका जन्म रबी-उल-अव्वल महीने की 12वीं तारीख़ को हुआ।
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पैग़म्बर मोहम्मद साहब को इस्लाम में अंतिम नबी (Final Prophet) माना जाता है।
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उन्होंने लोगों को ईमान, अमन, इंसाफ़ और इंसानियत का पैग़ाम दिया।
ईद-ए-मिलाद (मौलिद-उन-नबी)
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ईद-ए-मिलाद को मौलिद-उन-नबी या बारावफात भी कहा जाता है।
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यह दिन पैग़म्बर मोहम्मद साहब के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
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इस अवसर पर मुसलमान नमाज़, कुरआन शरीफ़ की तिलावत, जुलूस और दुआ करते हैं।
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लोग मस्जिदों और घरों को सजाते हैं, गरीबों को खाना खिलाते हैं और नेक काम करते हैं।
इस दिन का महत्व
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यह दिन हमें पैग़म्बर साहब की शिक्षाओं और जीवनशैली को याद करने का अवसर देता है।
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उन्होंने सिखाया:
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इंसानियत सबसे ऊपर है।
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सबके साथ न्याय और भाईचारा रखो।
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गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद करो।
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ईद-ए-मिलाद हमें शांति, प्रेम और सद्भावना का संदेश देता है।
निष्कर्ष
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पैग़म्बर मोहम्मद साहब का जीवन सम्पूर्ण मानवता के लिए मार्गदर्शन है।
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ईद-ए-मिलाद का त्योहार हमें यह याद दिलाता है कि हमें उनकी बताई राह पर चलकर प्यार, शांति और इंसानियत फैलानी चाहिए।
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